
नयी दिल्ली:
यमुना का जल स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है लेकिन इसका बाढ़ग्रस्त दिल्ली की सड़कों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। रविवार सुबह यमुना का जलस्तर 206.14 मीटर दर्ज किया गया, जो गुरुवार रात 8 बजे 208.66 मीटर के शिखर से कम है।
लेकिन यमुना पर एक बैराज पर कुछ जाम हुए बाढ़ द्वार और देर शाम की बारिश ने बाढ़ वाली सड़कों, जलमग्न घरों और डूबे हुए ऐतिहासिक स्मारकों से राहत छीन ली है।
राजघाट मेमोरियल और दिल्ली के सबसे व्यस्त चौराहे, आईटीओ के आसपास की सड़कें अभी भी जलमग्न हैं, जिससे यात्रियों को निकलने में दिक्कत हो रही है।
भारतीय नौसेना शुक्रवार को बैराज के एक फ्लड गेट को खोलने में कामयाब रही, जबकि 32 में से चार गेट अभी भी जाम हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पास टूटे हुए नाली नियामक ने भी अधिकारियों को दो दिनों तक परेशानी में डाल दिया। उल्लंघन के कारण सुप्रीम कोर्ट और प्रतिष्ठित राजघाट के बाहर बाढ़ आ गई।
सेना और आपदा राहत कर्मी दरार को बंद करने में कामयाब रहे, लेकिन शनिवार शाम की बारिश ने शहर के भीतर जल स्तर को बढ़ा दिया।
दिल्ली के बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, पानी को शहर में बहने से रोकने के लिए हमने बोरियां बिछाकर एक दीवार बनाई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि यमुना धीरे-धीरे पानी कम कर रही है और अगर भारी बारिश नहीं हुई तो स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं है।
पूरे उत्तर भारत में भारी बारिश के बाद दिल्ली में बाढ़ आ गई, जिससे पिछले हफ्ते दर्जनों लोगों की मौत हो गई। दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के आसपास की सड़कों पर यमुना फैल गई है, जिससे उसका प्राचीन प्रवाह पथ फिर से बहाल हो गया है, जबकि शहर में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय रविवार तक बंद हैं। कुछ दुकानें और व्यवसाय भी बंद कर दिए गए हैं।
हजारों लोगों को निचले इलाकों से स्कूलों और अन्य इमारतों में बनाए गए अस्थायी राहत केंद्रों में ले जाया गया, साथ ही कई लोगों ने तंबुओं और फ्लाईओवर के नीचे भी शरण ली। सरकार ने जो राहत शिविर बनाये थे उनमें से कुछ भी अब पानी में डूब गये हैं।